बसंत पंचमी का अमृत स्नान संपन्न, चौकस रही सुरक्षा व्यवस्था

महाकुंभ प्रयाग की पावन भूमि पर इस बार बसंत पंचमी के दिन एक अद्वितीय उत्सव का आयोजन हुआ, जब करोड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह पर्व विशेष रूप से मां सरस्वती के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया गया, जहां सुनहरे मौसम और अपार श्रद्धा के बीच हर ओर उमंग और उल्लास था।
महाकुंभ मेले के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुरक्षित यात्रा और स्नान के लिए पुलिस प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए थे। मेला क्षेत्र में प्रत्येक महत्वपूर्ण स्थल, चौराहा, तिराहा, पांटून पुल, अखाड़ों के मार्गों और स्नान घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया था। नागरिक पुलिस, यातायात पुलिस, महिला पुलिस, घुड़सवार पुलिस, अग्निशमन दल, पीएसी, एसटीएफ, एटीएस, एनएसजी के कमांडो, अर्धसैनिक बल और बम निरोधक दस्ते की टीमें चौकस और सतर्क नजर बनाए हुए थीं।
पवित्र संगम में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल पुलिस और गोताखोरों की टीमों की तैनाती की गई थी। इसके अलावा, एसडीआरएफ/एनडीआरएफ/फ्लड कंपनी के जवानों ने संगम क्षेत्र और स्नान घाटों का निरंतर भ्रमण किया। सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक पुख्ता बनाने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी की गई।
इसके साथ ही, श्रद्धालुओं को असुविधा न हो, इसके लिए मेला क्षेत्र में 36 स्थानों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को न्यूनतम पैदल चलकर स्नान घाट तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो।
महाकुंभ के तृतीय और अंतिम अमृत स्नान पर्व पर अधिकारियों का समर्पण अद्वितीय था। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी, जैसे कि अपर पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर, पुलिस आयुक्त तरुण गाबा, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगातार मेला क्षेत्र में रहकर सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कर रहे थे। घुड़सवारी के माध्यम से भी संगम क्षेत्र का निरीक्षण किया गया।
इस बार की महाकुंभ व्यवस्था ने देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को अभूतपूर्व सुरक्षा और व्यवस्था प्रदान की, जिससे सभी ने अत्यधिक संतुष्टि और प्रसन्नता व्यक्त की। यह महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि प्रशासन की तत्परता और कड़ी सुरक्षा का भी उदाहरण बना।