पहली बार दुनिया भर के बौद्ध भिक्षुओं ने त्रिवेणी संगम में लगाई डुबकी

पहली बार दुनिया भर के  बौद्ध भिक्षुओं ने  त्रिवेणी संगम में लगाई  डुबकी
Kalon Gyari Dolma Attends Historic Buddha Special Sangam Maha Kumbh and Bodh Maha Kumbh Yatra in Prayagraj

महाकुंभ की पावन धरती पर  एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण सामने आया, जब पहली बार दुनिया भर के भंते, लामा और बौद्ध भिक्षुओं ने एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। यह एक ऐसा अद्भुत दृश्य था, जिसमें सनातन और बौद्ध धर्म की एकता और भाईचारे का संदेश पूरे संसार में गूंज उठा। संगम के किनारे "बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणं गच्छामि" के जयघोष से वातावरण गूंज उठा, जो इस ऐतिहासिक पल की महत्ता को और भी बढ़ा गया।

संगम में 500 से अधिक बौद्ध धर्मावलंबियों ने एक साथ डुबकी लगाई, और साथ ही भगवान बुद्ध की करुणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें के नारे लगाए। इस धार्मिक एकता के प्रतीक ने एक नया इतिहास रचा, जिसमें बौद्ध और सनातन धर्म के अनुयायी एक साथ इस अद्भुत आयोजन का हिस्सा बने।

इस दौरान आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार की उपस्थिति में बौद्ध और सनातन धर्म के अनुयायियों ने एकता का संकल्प लिया। निर्वासित तिब्बत सरकार के रक्षामंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा, "प्रयागराज की पावन धरती पर, आरएसएस के मार्गदर्शन में बौद्ध और सनातन धर्म के लोग एक साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं।"

इस आयोजन के बाद, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा, "हम सब एक थे, एक हैं और एक रहेंगे," जो इस ऐतिहासिक मिलन का प्रमाण था। आरएसएस के इंद्रेश कुमार ने यह संकल्प लिया कि इस समन्वय की धारा को आगे बढ़ाया जाएगा, क्योंकि "सनातन ही बुद्ध है, और बुद्ध शाश्वत और सत्य है।"

यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की दिव्यता को दर्शाता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण कदम था जो धार्मिक समन्वय, शांति और एकता के संदेश को फैलाता है। केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह महाकुंभ भारतीय संस्कृति की भव्यता और उसकी अनमोल परंपराओं का प्रतीक है।