प्रयागराज महाकुंभ के बाद 2000 नागा साधुओं का काशी में प्रवेश, तैयारियां जोरों पर

प्रयागराज महाकुंभ के शाही स्नान के बाद अब साधु संतों का सिलसिला वाराणसी की ओर बढ़ रहा है। 7 फरवरी के शुभ मुहूर्त से साधु नागाओं का काशी पहुंचना शुरू हो चुका है और अब यह सिलसिला लगातार जारी है। काशी के प्राचीन घाटों पर इन साधु संतों के कैंप लगाए जा रहे हैं और उनके आगमन से काशी में धार्मिक माहौल और भी प्रगाढ़ हो गया है। 9 फरवरी को, विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर और साधु नागा, लगभग 2000 की संख्या में नगर में प्रवेश करेंगे।
गाजे-बाजे के साथ साधु नागाओं का नगर प्रवेश
साधु संतों का वाराणसी में आगमन परंपरागत रूप से होता आया है, और इस बार भी इसका आयोजन पूरी धूमधाम से किया जा रहा है। 9 फरवरी की रात 12 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक, तकरीबन 2000 साधु नागा गाजे-बाजे के साथ काशी में प्रवेश करेंगे। हाथी, घोड़ा और बैंड के साथ उनका यह सफर निश्चित ही काशी के भव्य धार्मिक माहौल को और भी अद्वितीय बना देगा। इस अवसर पर पुलिस प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए हैं और रूट डायवर्जन का भी ख्याल रखा गया है। सैकड़ों पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी इस दौरान तैनात किए गए हैं ताकि यात्रा में किसी भी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न न हो।
चांदपुर चौराहे से होगा काशी में प्रवेश
9 फरवरी को साधु नागाओं का काशी में प्रवेश चांदपुर चौराहे से होगा। इसके मद्देनजर प्रशासन ने स्थल निरीक्षण किया और मार्गों पर विशेष रूट डायवर्जन की व्यवस्था की है। चांदपुर चौराहे से लेकर काशी विश्वनाथ धाम मार्ग तक और अन्य घाटों तक सभी मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। इस दौरान कोई भी साधु संत या श्रद्धालु बिना परेशानी के अपने गंतव्य तक पहुंच सकें, इसके लिए सभी उपाय किए गए हैं। महाशिवरात्रि तक काशी में साधु संतों और नागाओं का यह समूह प्रवास करेगा। इसके बाद, भगवान काशी विश्वनाथ से होली खेलकर ये साधु संत अपने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे।
वाराणसी में इस बार साधु संतों के आगमन को लेकर विशेष उत्साह और श्रद्धा का माहौल बना हुआ है, जो काशी के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा रहा है।
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