‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के नाम पर अश्लीलता
आजकल के दौर में जहां हम खुद को ‘स्वतंत्र’ और ‘व्यक्तिगत अभिव्यक्ति’ के अधिकार से जुड़ा हुआ मानते हैं, वहीं एक नई चुनौती सामने आई है – यह चुनौती है बिना किसी सीमा के अभिव्यक्ति की। हाल ही में प्रसिद्ध यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया द्वारा किए गए विवादास्पद बयान ने इस बात को पुनः उजागर किया है कि आजकल के मंचों पर ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के नाम पर क्या कुछ नहीं कहा जा रहा। यह घटना यह साबित करती है कि अभिव्यक्ति की कोई सीमा नहीं होती जब तक वह व्यक्तिगत या सामाजिक मानदंडों के खिलाफ नहीं जाती।
‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ जैसे कार्यक्रमों में प्रतिभागियों से अश्लील सवाल पूछना और उसके बाद उसे हास्य के रूप में प्रस्तुत करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह समाज के नैतिक ताने-बाने को भी प्रभावित करता है। स्टैंड-अप कॉमेडी के नाम पर हम जो देख रहे हैं, वह महज शो-पीस के रूप में बेमानी और आपत्तिजनक टिप्पणियां हैं। हास्य का उद्देश्य लोगों को हंसी में डुबोने का होता है, न कि किसी की अस्मिता या गरिमा को ठेस पहुंचाने का।
आज के कॉमेडियन और यूट्यूबर्स को यह समझना होगा कि स्वतंत्रता का अर्थ किसी को अपमानित करने की छूट नहीं होता। प्रत्येक अभिव्यक्ति के पीछे जिम्मेदारी और समझदारी होनी चाहिए। हमें यह याद रखना होगा कि हर अभिव्यक्ति में शालीनता और मर्यादा बनी रहनी चाहिए, ताकि समाज में सकारात्मक संदेश जाए और हमारी संस्कृति का सम्मान बना रहे।