दिल्ली में मुख्यमंत्री के चयन में देरी क्यों?
दिल्ली में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री का चयन क्यों नहीं हो रहा है? यह सवाल अब दिल्ली की अवाम और राजनीति में गूंज रहा है। दिल्ली में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है, और कोई गठबंधन की समस्या भी नहीं है जैसा कि महाराष्ट्र में था। फिर भी, मुख्यमंत्री के नाम पर इतनी देरी क्यों हो रही है?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम 8 फरवरी को आ गए थे, लेकिन उसके बाद से ही बीजेपी के नेताओं में मुख्यमंत्री के पद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं दिख रही। यह स्थिति बीजेपी जैसे बड़े और संगठित दल के लिए शुभ संकेत नहीं हो सकती। एक पार्टी जो पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही हो, उसके नेतृत्व को इस तरह के निर्णय में इतना समय नहीं लगना चाहिए। यह न सिर्फ पार्टी के आंतरिक सामंजस्य पर सवाल उठाता है, बल्कि दिल्ली के नागरिकों के कामों को लेकर भी दिक्कतें आती हैं। सरकार का गठन न होने से उनके भी काम रुक जाते हैं।
बड़ी राजनीतिक पार्टियों में निर्णय लेने की क्षमता बेहद महत्वपूर्ण होती है। जब पार्टी के पास बहुमत हो, तो नेतृत्व को तुरंत और प्रभावी निर्णय लेने की जरूरत होती है। बीजेपी को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और शीघ्र ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करनी चाहिए। यह न केवल पार्टी के लिए, बल्कि दिल्ली के विकास के लिए भी आवश्यक है। दिल्लीवासियों को जल्द से जल्द स्पष्टता चाहिए कि उनका नेतृत्व कौन करेगा।