अनीता आनंद कनाडा की प्रधानमंत्री बनने की रेस में
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद उनकी लगभग एक दशक लंबी सत्ता का अंत हो गया। ट्रूडो ने अपने इस्तीफे के कारणों में मतदाताओं का समर्थन खोने और लिबरल पार्टी के भीतर बढ़ते आंतरिक संघर्षों का हवाला दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे जब तक पार्टी का नया नेता चुना नहीं जाता। ट्रूडो ने कहा, "मैं किसी लड़ाई से पीछे नहीं हटता, विशेष रूप से जब वह हमारे देश और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो। लेकिन कनाडा के लोगों के हित और लोकतंत्र की भलाई मेरे लिए सर्वोपरि हैं।"
अब, जब ट्रूडो का इस्तीफा हो चुका है, तो कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के लिए दावेदारी की दौड़ तेज हो गई है। इस दौड़ में भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। अनीता आनंद, जो वर्तमान में कनाडा की परिवहन और आंतरिक मंत्री हैं, को बीबीसी द्वारा उन पांच प्रमुख उम्मीदवारों में गिना गया है, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह ले सकते हैं। अनीता आनंद की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक सेवा के कारण उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
अनीता आनंद का राजनीतिक करियर और परिवारिक बैकग्राउंड
अनीता आनंद का जन्म नोवा स्कोटिया के केंटविले में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय चिकित्सक थे और उनका परिवार शिक्षा और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पित रहा है। अनीता आनंद ने 2019 में राजनीति में कदम रखा और जल्द ही लिबरल पार्टी की एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गईं। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में सराहना मिली, जब उन्होंने वैक्सीन खरीदने के प्रयासों में अहम भूमिका निभाई। 2021 में, उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया और उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन की सहायता करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यदि अनीता आनंद कनाडा की प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह भारतीय समुदाय के लिए गर्व का अवसर होगा और कनाडा के भारत के साथ रिश्तों में सुधार की उम्मीद जताई जा सकती है। ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ रिश्ते तनावपूर्ण रहे थे, खासकर जब हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर झूठा आरोप भारत पर लगाया गया था। ऐसे में अनीता आनंद का प्रधानमंत्री बनना भारत के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है।
कनाडा की राजनीति में बदलाव के संकेत
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा की राजनीति में अस्थिरता बढ़ने के संकेत हैं। लिबरल पार्टी अब अपने नए नेता का चुनाव करेगी, और इसके साथ विपक्षी दल भी अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। संसद के सत्र को 27 जनवरी से 24 मार्च तक स्थगित किया गया है, ताकि लिबरल पार्टी को नए नेता के चुनाव का समय मिल सके। इन घटनाक्रमों के बीच, अनीता आनंद का नाम प्रधानमंत्री के पद के लिए सबसे मजबूत दावेदारों में शामिल है।