शिंदे की तीन योजनाएं होंगी बंद ; सरकार में मतभेद उजागर

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा शुरू की गई तीन लोकप्रिय योजनाओं को बंद करने का विचार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया जा रहा है। विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री रहते हुए एकनाथ शिंदे ने 'तीर्थदर्शन योजना' की घोषणा की थी, जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को प्रमुख तीर्थ स्थलों का मुफ्त दर्शन कराया जाता था। लेकिन अब देवेंद्र फडणवीस ने इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया है।
इसके अलावा 'आनंदाचा शिधा' योजना को भी बंद करने का विचार फडणवीस सरकार कर रही है। आर्थिक तंगी के कारण मुफ्त योजनाओं को बंद करने का विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही 'शिवभोजन थाळी' योजना को भी बंद करने पर मंत्रिमंडल बैठक में चर्चा हुई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आपदा प्रबंधन समिति से भी हटा दिया गया है, और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अब आपदा प्रबंधन के प्रमुख बन गए हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी इस समिति में हैं। हालांकि, नगरविकास मंत्री होते हुए एकनाथ शिंदे को इस समिति से बाहर किया गया है। राजस्व, मदद पुनर्वसन, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य मंत्री समितियों में हैं। मुंबई में जुलाई 2005 की भीषण बाढ़ के बाद आपदा प्रबंधन की स्थापना की गई थी। इस तरह के फैसलों को लेकर राजनीतिक चर्चाओं को हवा मिल रही है कि आखिर महायुती में हो क्या रहा है।
मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना को बिल्कुल बंद नहीं करेंगे, क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों को इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने खुद इस योजना को आरंभ किया था। मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे द्वारा शुरू की गई कोई भी योजना बंद नहीं होगी। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें आपदा प्रबंधन समिति में क्या हो रहा है, इस बारे में जानकारी नहीं है। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अगर कहीं कोई गड़बड़ी हो रही है, जैसे कि भोजन की थाली न देकर अनुदान लिया जा रहा हो, तो वह मुद्दा है। लेकिन इस योजना को बंद करने का कोई कारण नहीं है। इस योजना पर हर साल 126 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, और इसे बंद करने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा। पैसे का सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि यह जनता का पैसा है।
शिवसेना के मंत्रियों की नाराजगी का सुर अभी भी कायम है। उद्योग मंत्री उदय सामंत ने अपनी ही विभागीय सचिव और सीईओ के पास नाराजगी व्यक्त करते हुए पत्र लिखा। उन्होंने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल और उद्योग विभाग से जुड़े महत्वपूर्ण नीति निर्णयों को प्रशासनिक स्तर पर लिया जा रहा बताया और इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि नीति निर्णयों और महत्वपूर्ण कामकाज पर सचिव और कार्यकारी अधिकारी नियमित रूप से ब्रिफिंग दें और इस पर ध्यान दें।