दुनिया में बिकने वाली 100 में से 30 कारें चीन की, जर्मनी और ब्रिटेन छूटे पीछे

दुनिया में बिकने वाली 100 में से 30 कारें चीन की, जर्मनी और ब्रिटेन छूटे पीछे
Cars in a factory: File Photo

दुनिया में गाड़ियों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे कारों के उत्पादन में भी तेजी देखी जा रही है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर कारों का उत्पादन 93.5 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया। यह आंकड़ा 2019 के मुकाबले 2% और 2022 की तुलना में 17% अधिक है। इस बढ़ते उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी भी उल्लेखनीय है।

भारत दुनिया में कारों का उत्पादन करने वाले शीर्ष देशों में शामिल है। 2023 में वैश्विक कार उत्पादन में भारत का योगदान 6.3% रहा। यह भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की तेजी से बढ़ती क्षमता को दर्शाता है। भारत न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है। हालांकि, भारत को अपनी उत्पादन क्षमता और वैश्विक हिस्सेदारी को और बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने की जरूरत है।

कार उत्पादन के मामले में चीन दुनिया में पहले स्थान पर है। 2023 में चीन ने कुल वैश्विक उत्पादन का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा (लगभग 30%) अपने नाम किया। चीन न केवल सबसे बड़ा कार उत्पादक है, बल्कि सबसे बड़ा कार निर्यातक भी बन चुका है। चीन की उत्पादन क्षमता उसकी घरेलू मांग से कहीं अधिक है, जिससे वह बड़ी संख्या में कारों का निर्यात करता है। इसके अलावा, चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश किया है और यह इंडस्ट्री में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

अमेरिका और जापान क्रमशः 11.3% और 9.6% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जर्मनी, जो कभी कार निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी था, अब 4.8% हिस्सेदारी के साथ पीछे है। वहीं, ब्रिटेन का योगदान मात्र 1.9% रह गया है।

भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए भारत को कई कदम उठाने होंगे। उच्च गुणवत्ता वाले वाहनों का उत्पादन, तकनीकी सुधार, और निर्यात को बढ़ावा देकर भारत अपने कार निर्माण क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।