'एसेसमेंट ईयर' की जगह 'टैक्स ईयर' शब्द का उपयोग
आने वाले समय में इनकम टैक्स रिटर्न भरना टैक्सपेयर्स के लिए और भी सरल हो सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार इसे आसान बनाने के लिए कदम उठा रही है। सरकार बढ़ते टैक्स विवादों को लेकर चिंतित है, और वर्तमान में करीब 120 बिलियन डॉलर मूल्य के टैक्स मामले विवादों में हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है।
CBDT की समिति इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा के लिए लगातार विचार कर रही है, और माना जा रहा है कि जनवरी 2025 तक एक ड्राफ्ट रिपोर्ट सार्वजनिक कंसल्टेशन के लिए जारी की जा सकती है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार इस प्रस्तावित विधेयक को 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट में शामिल कर सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इनकम टैक्स एक्ट की भाषा को सरल और स्पष्ट बनाने पर काम कर रही है, ताकि टैक्सपेयर्स के लिए इसे समझना आसान हो सके। इसके अलावा, टैक्स रेट्स और पॉलिसी में कोई बदलाव किए बिना फॉर्मूला और टेबल से जुड़ी जानकारी को अधिक सुसंगत और तार्किक बनाने का प्रस्ताव है।
वित्त मंत्रालय ने इस बदलाव को लेकर टिप्पणी करने से इंकार किया है। सरकार ने टैक्सपेयर्स के लिए नौकरशाही बोझ को कम करने और बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अपने टैक्स कानूनों में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में बजट पेश करते हुए टैक्स कानूनों के व्यापक रिव्यू का वादा किया था और इसे टैक्सपेयर्स-फ्रेंडली बनाने का भरोसा दिया था।
इसके अलावा, टैक्स कानूनों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित है, जिसमें 'एसेसमेंट ईयर' की जगह 'टैक्स ईयर' शब्द का उपयोग किया जाएगा, ताकि टैक्सपेयर्स इसे और आसानी से समझ सकें। इसके साथ ही, टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए अतिरिक्त फॉर्म्स की संख्या को घटाने का भी सुझाव दिया गया है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि टैक्सपेयर्स के लिए नोटिस की भाषा को सरल और गैर-तकनीकी बनाया जाएगा, ताकि उन्हें किसी वकील की मदद की जरूरत न पड़े। इसका उद्देश्य यह है कि टैक्सपेयर्स बिना किसी परेशानी के खुद से अपनी स्थिति को समझ सकें और विभाग के साथ बेहतर तरीके से संवाद कर सकें।