इज़राइल और गाज़ा के संकट का हल कैसे संभव है?
हाल ही में इज़राइल द्वारा हवाई हमले में हिज़बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, इज़राइल और गाज़ा के बीच का संघर्ष एक बार फिर गंभीर रूप से बढ़ गया है। इस हमले ने न केवल लेबनान और इज़राइल के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता का माहौल पैदा कर दिया है। हिज़बुल्ला प्रमुख की मौत के बाद, गाज़ा के हमास संगठन ने इज़राइल के खिलाफ रॉकेट हमले तेज कर दिए हैं, जिससे दोनों पक्षों के बीच टकराव और गहरा हो गया है। इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच दशकों से चले आ रहे संघर्ष का यह नया चरण पुरानी असहमति और गहरी अविश्वास की जड़ें उजागर करता है। इज़राइल का यह कहना है कि यह हमला उसकी आत्मरक्षा का हिस्सा था, क्योंकि हिज़बुल्ला और हमास जैसे संगठनों ने लगातार उसके विनाश का आह्वान किया है। दूसरी ओर, फिलिस्तीनी संगठनों का मानना है कि इज़राइल की कार्रवाई अत्यधिक और अनुचित है, जिससे निर्दोष नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। इस स्थिति में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है—किस तरह एक देश की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा की जाए, जबकि आम नागरिकों की जान-माल की रक्षा भी हो। इज़राइल को आत्मरक्षा का अधिकार है, लेकिन क्या उसकी जवाबी कार्रवाई बहुत कठोर है? इस सवाल का हल केवल राजनयिक प्रयासों से ही निकल सकता है। इस समय, दोनों पक्षों को संयम बरतने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सख्त लेकिन संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो इज़राइल की सुरक्षा चिंताओं और फिलिस्तीनी जनता के मानवाधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखे। युद्ध किसी के हित में नहीं है।