रूस संग बातचीत को तैयार जेलेंस्की, रखी ये शर्त

रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे होने के अवसर पर कीव में आयोजित शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार (24 फरवरी, 2025) को एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा, "रूस को यूक्रेनियों को रिहा करना चाहिए। यूक्रेन सभी के बदले सभी को रिहा करने के लिए तैयार है, और यह शुरुआत करने का एक उचित तरीका है।" जेलेंस्की का यह बयान यूक्रेन के संघर्ष में एक नया मोड़ ला सकता है, जहां उन्होंने शांति की दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाया है।
इससे पहले, रविवार (23 फरवरी, 2025) को कीव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की ने कहा, "अगर यूक्रेन में शांति बहाल होती है और अगर मेरी नाटो सदस्यता के लिए इस्तीफे की जरूरत है, तो मैं तुरंत पद छोड़ने के लिए तैयार हूं, लेकिन बदले में यूक्रेन को NATO में जगह मिलनी चाहिए।" उनका यह बयान रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरा होने के बाद आया है, और यह उनके देश की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।
रूस के हमले को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन संघर्ष की आग अब भी जल रही है। जेलेंस्की का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में चुनाव कराने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू है, जिसके तहत चुनाव कराना फिलहाल संभव नहीं है। जेलेंस्की का बयान यह स्पष्ट करता है कि उनकी प्राथमिकता NATO सदस्यता प्राप्त करना है, और इसके लिए वह किसी भी कदम उठाने को तैयार हैं।
रविवार सुबह जेलेंस्की ने रूस के द्वारा किए गए अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शनिवार रात को रूस ने 267 ड्रोन दागे, जिनमें से यूक्रेनी वायु सेना ने 138 को मार गिराया। इस हमले में एक नागरिक की मौत की पुष्टि की गई। यह घटना रूस की ओर से अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला माना जा रहा है, और यह एक कड़ा संदेश है कि युद्ध की हिंसा अभी थमी नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या जेलेंस्की के इस्तीफे से युद्ध का अंत संभव होगा? यूक्रेन NATO सदस्यता के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन रूस इसका लगातार विरोध कर रहा है। जेलेंस्की का बयान पश्चिमी देशों और NATO के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है। हालांकि, क्या उनके इस्तीफे से सचमुच युद्ध समाप्त हो जाएगा, यह अभी भी एक सवाल है। अब यह देखना होगा कि पश्चिमी देश और NATO इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और यूक्रेन के संघर्ष को लेकर उनकी भूमिका क्या होगी।