चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद महत्वपूर्ण
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केंद्र और चुनाव आयोग मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर कर रहे हैं, जिससे चुनाव में धांधली का खतरा पैदा हो गया है। ममता का यह आरोप तब आया है जब उन्होंने महसूस किया कि चुनावों में कई असली मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं और उनकी जगह बाहरी राज्यों के लोगों के नाम जोड़ दिए गए हैं। उनका कहना है कि अगर इस मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो वह चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ सकती हैं।
यह आरोप गंभीर हैं और लोकतंत्र की बुनियादी प्रणाली पर सवाल उठाते हैं। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद महत्वपूर्ण है। यदि किसी भी चुनाव में संदेह उत्पन्न होता है, तो इसका प्रभाव लोकतंत्र की साख पर पड़ता है। चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाये रखें। कोई भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए, जिससे मतदाता की स्वतंत्रता और चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।
चुनावों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या पक्षपाती रवैया लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। सभी नागरिकों को यह विश्वास होना चाहिए कि उनके वोट का सम्मान होगा और चुनाव परिणाम पूरी तरह से निष्पक्ष होंगे। यही लोकतंत्र की असली पहचान है। इसलिए, चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए, त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि चुनाव प्रक्रिया पर कोई संदेह न हो और सभी को यह विश्वास हो कि चुनाव पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं।