अवैध प्रवासी अपराधी नहीं, पीड़ित हैं

भारत में अवैध प्रवासियों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, खासकर उन युवाओं के लिए जो अमेरिका जैसे देशों में बेहतर जीवन की उम्मीद में अवैध रूप से पहुंचते हैं। इन युवाओं को अक्सर मानव तस्करी करने वाले गिरोहों द्वारा बहला-फुसलाकर और धोखा देकर विदेश भेजा जाता है। जब इन प्रवासियों को गिरफ्तार कर भारत वापस भेजा जाता है, तो वे अपराधी की तरह नहीं, बल्कि पीड़ित के रूप में देखे जाने चाहिए।

इन युवाओं की हालत दयनीय होती है। उन्हें न केवल शारीरिक और मानसिक कष्ट झेलने पड़ते हैं, बल्कि समाज में भी उनका अपमान किया जाता है। अवैध रूप से विदेश जाने के प्रयास में वे न केवल अपनी सारी बचत गंवा बैठते हैं, बल्कि कई बार तस्करों द्वारा उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है। जब ये लोग वापस भारत आते हैं, तो उनका सामना यहां भी ताने, बुरे शब्दों और भेदभाव से होता है।

सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इन गिरोहों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें जो युवाओं को विदेश भेजने के बहाने उनका शोषण करते हैं। इसके साथ ही, हमें इन प्रवासियों को अपराधी नहीं, बल्कि पीड़ित के रूप में देखना चाहिए। उन्हें पुनः समाज में समाहित करने के लिए उपयुक्त सहायता और पुनर्वास की आवश्यकता है। यह भी जरूरी है कि सरकार इनके परिवारों को भी सहायक योजनाओं से जोड़कर उन्हें आर्थिक और मानसिक सहायता प्रदान करे।

अगर हम इन युवाओं को अपराधी की बजाय पीड़ित मानते हैं, तो हम उन्हें एक नई शुरुआत देने में मदद कर सकते हैं और समाज में उनके प्रति संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं।