संगम तट पर बने अखाड़ों में नए नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू

संगम तट पर बने अखाड़ों में नए नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू
Naga Sadhus in Prayagraj

संगम तट पर बने अखाड़ों में नए नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मौनी अमावस्या से पहले सात शैव और दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। जूना अखाड़े में यह प्रक्रिया आज से शुरू होगी, और 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी। महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या से नागा साधु बनाए जाएंगे। सभी अखाड़ों में 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा। इस संस्कार के बाद सभी नवदीक्षित नागा साधु मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ पहला अमृत स्नान करेंगे।

अखाड़े के लिए कुंभ सिर्फ अमृत स्नान का अवसर नहीं होता, बल्कि यह उनके विस्तार का भी एक अवसर होता है। खासतौर से महाकुंभ में नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है।  17 जनवरी से धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या के साथ संस्कार की शुरुआत हो गई है । 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के तपस्या करनी होगी। इसके बाद गंगा तट पर 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन होगा। यहां पांच गुरु उन्हें अलग-अलग वस्त्र देंगे। संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे, और 19 जनवरी को लंगोटी खोलकर उन्हें नागा बना दिया जाएगा। 

नागा बनाने की प्रक्रिया में दो महत्वपूर्ण क्रियाएं होती हैं। पहली क्रिया चोटी काटने की होती है, जिससे शिष्य का सामाजिक बंधन टूटता है। इसके बाद वह कभी भी सामाजिक जीवन में वापस नहीं लौट सकता। दूसरी क्रिया तंग तोड़ की होती है, जो गुरु द्वारा नहीं, बल्कि एक अन्य नागा से करवाई जाती है। यह क्रिया नागा बनाने की अंतिम प्रक्रिया मानी जाती है।

नागा संन्यासियों की दीक्षा सबसे पहले जूना अखाड़े से शुरू होगी और उसके बाद निरंजनी अखाड़े में भी यह प्रक्रिया होगी। महानिर्वाणी अखाड़े का संस्कार अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन महंत यमुना पुरी का कहना है कि मौनी अमावस्या से पहले यह संस्कार पूरा कर लिया जाएगा। 

नागा संन्यासी अखाड़ों के प्रशासनिक और आर्थिक दायित्वों को संभालते हैं। नागा बनने के बाद ही उन्हें महंत, श्रीमहंत, थानापति, कोतवाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जाता है। अखाड़े में शामिल होने वाले साधु पहले नागा संस्कार करवाते हैं और फिर उन्हें पदों पर तैनात किया जाता है। अखाड़ा पदाधिकारी बताते हैं कि नागा बनाने से पहले आंतरिक कमेटी जांच पड़ताल करती है, तभी कोई साधु नागा बन सकता है।