यूपी के मंत्री अपनी ही योगी सरकार पर हमलावर
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.
तकनीकी शिक्षा विभाग संभाल रहे आशीष पटेल ने राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) पर उनके ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है.
उन्होंने राज्य के सूचना विभाग पर भी आरोप लगाया है कि वह उनके ख़िलाफ़ ख़बरें छपवा रहा है और उनकी छवि को ख़राब किया जा रहा है.
आशीष पटेल ने यह आरोप अपनी पत्नी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की छोटी बहन पल्लवी पटेल के आरोपों के बाद लगाए हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पल्लवी पटेल की अपना दल (कमेरावादी) पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था और वे सपा के सिंबल पर ही चुनाव जीतकर आई थीं.
तब उन्होंने सिराथू विधानसभा सीट से बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य को हराया था. हालांकि अब उनकी पार्टी का सपा से गठबंधन टूट गया है.
विधायक पल्लवी पटेल ने आशीष पटेल के तकनीकी शिक्षा विभाग में एचओडी की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
सवाल है कि पल्लवी पटेल को 'धरना मास्टर' बताने वाले आशीष पटेल अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ हमलावर क्यों हैं? क्या अपना दल (सोनेलाल) का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? या फिर आशीष पटेल और पल्लवी पटेल जैसे नाम एक बड़े गेम में सिर्फ़ मोहरे बने हुए हैं?
पल्लवी पटेल ने शीतकालीन सत्र के दौरान आशीष पटेल पर लगे कथित भ्रष्टाचार के मामले को विधानसभा में भी उठाने की कोशिश की, लेकिन इजाज़त नहीं मिलने पर वे धरने पर बैठ गई थीं.
एक जनवरी को पल्लवी पटेल ने इस मामले को लेकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाक़ात की. उन्होंने पूरे मामले में जांच कराकर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की.
जब मामले ने सुर्खियां बटोरी तो मंत्री आशीष पटेल ने अपनी चुप्पी तोड़ी और उन्होंने सार्वजनिक मंच से इन आरोपों का जवाब दिया.
लखनऊ में गुरुवार, 2 जनवरी को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आशीष पटेल ने आरोप लगाया कि पल्लवी पटेल में 'खिलौने की तरह चाबी भरी जा रही है.'
उन्होंने आरोप लगाया, "एक धरना मास्टर हैं. उनको प्रायोजित किया जाता है. उनको जब भी मौक़ा मिलता है, उन्हें धरने पर बिठा दिया जाता है. विधानसभा बंद होने के बाद एसटीएफ़ के अधिकारी ने दो लोगों को उनके साथ बैठने के लिए भेजा."
पटेल ने कहा, "मैं एसटीएफ़ को बता देना चाहता हूं, तुम्हारा नाम स्पेशल टास्क फोर्स है तो मेरा नाम आशीष पटेल है. तुम पैर पर गोली मारते हो ना. औकात हो तो मेरे सीने पर गोली मारकर दिखाओ."
उन्होंने सूचना विभाग पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 1700 करोड़ रुपये का दुरुपयोग कर राजनीतिक आदमी का मान मर्दन किया जा रहा है.
इस पूरे मामले पर अनुप्रिया पटेल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया. उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता, पदाधिकारी या नेता की प्रतिष्ठा पर बात आएगी तो अपना दल चुप नहीं बैठेगा. प्रतिष्ठा के साथ कोई समझौता मेरी पार्टी नहीं करेगी."
विश्लेषकों के मुताबिक़, अनुप्रिया पटेल कुर्मियों की राजनीति करती हैं और बीजेपी की चुनावी रणनीति में एकदम फिट बैठती हैं
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और अनुप्रिया पटेल ने मिर्ज़ापुर से जीत दर्ज की थी.
दो सांसदों के बावजूद उन्हें साल 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री का पद दिया गया. 2024 में भी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी गई.
राज्य में अगर पिछड़ी जातियों की बात की जाए तो यादवों के बाद सबसे ज़्यादा कुर्मी हैं, जिनकी संख्या करीब सात से आठ प्रतिशत है और इनका कई दर्जन सीटों पर प्रभाव है.
अनुप्रिया पटेल कुर्मियों की राजनीति करती हैं और बीजेपी की चुनावी रणनीति में एकदम फिट बैठती हैं.
वो और उनके पति आशीष पटेल दोनों योगी आदित्यनाथ से नाराज़ चल रहे हैं वो अप्रत्यक्ष रूप से योगी आदित्यनाथ को टारगेट कर रहे हैं.
अनुप्रिया पटेल पहले भी सार्वजनिक तौर पर योगी आदित्यनाथ की आलोचना कर चुकी हैं. उनका आरोप था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े लोगों को रोज़गार देने के मामले में भेदभाव कर रही है.
सोनेलाल पटेल की सारी राजनीतिक विरासत अनुप्रिया पटेल के पास है. उन्हें लगता है कि योगी आदित्यनाथ उनकी बहन पल्लवी पटेल को प्रश्रय दे रहे हैं. अगर पल्लवी को लाइमलाइट मिलेगी तो राजनीतिक विरासत खिसक सकती है.
अगर आशीष पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोप पल्लवी की जगह किसी दूसरे व्यक्ति ने लगाए होते तो इतना बवाल नहीं होता. अपना दल जानबूझकर योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार पर प्रेशर बनाना चाहता है कि वे पल्लवी से दूर रहें.