पवार के हाथों शिंदे के सम्मान पर शिवसेना ठाकरे गुट नाराज

पवार के हाथों शिंदे के सम्मान पर शिवसेना ठाकरे गुट  नाराज
The Award ceremony which created controversy

राज्य के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना के मुख्य नेता एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। खास बात यह है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष और देश के वरिष्ठ नेता शरद पवार के हाथों एकनाथ शिंदे का सत्कार किया गया। इस कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे ने शरद पवार की तो सराहना की, और शरद पवार ने भी एकनाथ शिंदे की तारीफ की, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। राज्य की राजनीति में इस समय यह चर्चा चल रही है कि एकनाथ शिंदे नाराज हैं। महायुति में भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच गठबंधन और शिंदे के शिवसेना नेताओं की नाराजगी के कारण राजनीतिक चर्चाओं का दौर जारी है, और इसी के बीच शरद पवार के हाथों शिंदे का सम्मान अब आलोचना और सराहना का मुद्दा बन गया है। शरद पवार द्वारा किए गए सम्मान के कारण शिवसेना ठाकरे गुट नाराज हो गया है, और शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राऊत ने स्पष्ट रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की। अब संजय राऊत की आलोचना पर शिंदे के शिवसेना गुट से पलटवार हो रहा है।

दिल्ली में शिंदे का सम्मान शिवसेना ठाकरे गुट के लिए नाराजगी  का कारण बन गया है, और सांसद संजय राऊत ने सीधे शरद पवार पर ही आरोप लगाए हैं। इसके बाद शिंदे गुट द्वारा भी राऊत की आलोचना का जवाब दिया जा रहा है। शिंदे गुट के नेता और राज्य के मंत्री दादा भुसे ने राऊत को एक वाक्य में जवाब दिया, "तू बस जलता रह, इतना ही मैं कहूंगा।" वहीं, अब कोकण में शिंदे की शिवसेना के विधायक निलेश राणे ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा, "संजय राऊत कोई तज्ज्ञ नहीं हैं। वह व्यक्ति बर्बाद हो चुका है, और कुछ नहीं। उसे जवाब देने की जरूरत नहीं है।"

सत्कार समारोह पर संजय राऊत ने क्या कहा
महादजी शिंदे राष्ट्रगौरव पुरस्कार से शिंदे का सम्मान और वह भी पवार के हाथों होने से ठाकरे की शिवसेना को यह दोनों बातें बिल्कुल खटकीं। ठाकरे का गुस्सा राऊत की प्रेस कांफ्रेंस में बाहर आया। संजय राऊत ने स्पष्ट शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा, "जिन्होंने बालासाहेब की शिवसेना तोड़ी, उनके सम्मान के लिए पवार को वहां नहीं जाना चाहिए था।" केवल आलोचना करके संजय राऊत नहीं रुके, उन्होंने दिल्ली के मराठी साहित्य सम्मेलन को भी दलालों का सम्मेलन कह दिया। राऊत ने कहा कि साहित्य सम्मेलन के बहाने किसी का सम्मान करना मराठी का अपमान है। इसके बाद, राज्य की राजनीति में इस सम्मान समारोह को लेकर वार और पलटवार होते हुए नजर आ रहे हैं।