मांग में नरमी और टैरिफ खतरों के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट

सोमवार को भारतीय बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों में लगातार पांचवे सत्र में गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई। उपभोक्ता मांग में नरमी और टैरिफ खतरों की चिंताओं के बीच वैश्विक बाजारों में कमजोरी के प्रभाव से सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स 856.65 अंक (1.13%) गिरकर 74,454.41 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 242.56 अंक (-1.06%) फिसलकर 22,553.35 के स्तर पर बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स 923.62 अंक तक लुढ़क गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बाजारों में कमजोरी और टैरिफ लगाए जाने की संभावना के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की पूंजी निकासी जारी रही। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में 1,542.45 अंक यानी दो प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं निफ्टी 406.15 अंक यानी 1.76 प्रतिशत गिर चुका है।
डॉलर के मुकाबले रुपया भी कमजोर हुआ और चार पैसे गिरकर 86.72 रुपये (अस्थायी) के भाव पर बंद हुआ। शुक्रवार को यह 86.68 रुपये पर बंद हुआ था।
सेंसेक्स के प्रमुख शेयरों में एचसीएल टेक, जोमैटो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, भारती एयरटेल, टाटा स्टील और एनटीपीसी में गिरावट आई। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोटक महिंद्रा बैंक, मारुति, नेस्ले और आईटीसी ने बढ़त दर्ज की। बीएसई आईटी, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, धातु, जिंस और जन-केंद्रित सेवाओं से जुड़ी कंपनियों में गिरावट आई।
विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली का सिलसिला जारी है, और आंकड़ों के मुताबिक, एफआईआई ने शुक्रवार को 3,449.15 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने बाजार से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है, और 2025 में यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ की आशंका और एफआईआई की निकासी से बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता और अनिश्चितता बनी हुई है। एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखी गई, जबकि यूरोपीय बाजारों में बढ़त रही। अमेरिकी बाजार भी गिरावट के साथ बंद हुए।
इससे साफ है कि वैश्विक परिस्थितियां और विदेशी निवेशकों की रणनीतियां भारतीय बाजारों पर भारी दबाव डाल रही हैं, और बाजार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है।