बांग्लादेश की सेना और सरकार के बीच तनाव: नई राजनीतिक उठापटक

बांग्लादेश की राजनीति में हाल ही में पैदा हुआ तनाव एक नई दिशा को दर्शाता है। सेना प्रमुख वकर उज जमान मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से नाराजगी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे बांग्लादेश की सत्ता संघर्ष की गहरी तस्वीर पेश कर रहे हैं। सेना में असंतोष का मुख्य कारण, उन्हें कथित तौर पर दरकिनार किया जाना और बांग्लादेश की पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी है। इन विवादों ने बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को एक नई दिशा दी है, जो भविष्य में और भी जटिल हो सकती है।
वकर उज जमान, जो शेख हसीना शासन के दौरान सेना प्रमुख बने थे, ने हमेशा उनके साथ मजबूत संबंध बनाए रखे। शेख हसीना के साथ उनका पारिवारिक रिश्ता भी है, उनकी पत्नी शेख हसीना की चचेरी बहन हैं, और उनके ससुर 9वें सेना प्रमुख रहे हैं। ऐसे रिश्तों के बावजूद, इन दिनों वकर उज जमान की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं, जो सत्ता और सैन्य मामलों में बदलाव के संकेत दे सकती हैं।
विशेष रूप से, हाल ही में आईएसआई प्रमुख के ढाका दौरे ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया। आईएसआई प्रमुख की बांग्लादेश सेना के उच्च अधिकारियों से मुलाकात को वकर उज जमान ने व्यक्तिगत अपमान माना है, और इसके बाद से ही वह सरकार से और सेना के भीतर असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी केवल इस मुलाकात तक सीमित नहीं है, बल्कि वह बांग्लादेश के चुनावी भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं।
वकर उज जमान समय से पहले चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं ताकि जनादेश सुनिश्चित हो सके। उनका यह भी कहना है कि वर्तमान सरकार की निष्क्रियता से देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही, बांग्लादेश में कट्टरपंथी गुटों और पाकिस्तान के प्रभाव के बारे में भी सेना प्रमुख ने चिंता व्यक्त की है, जिससे उनके भीतर राजनीतिक हस्तक्षेप के खतरे का अहसास हो रहा है।
इन सब घटनाओं के बीच, लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद फैजुर रहमान की बांग्लादेश के नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति का मुद्दा और पाकिस्तान से उनका संभावित समर्थन, बांग्लादेश के भविष्य के लिए एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है। ये सभी घटनाएं यह संकेत देती हैं कि बांग्लादेश की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत हो सकती है, जो सैन्य और राजनीतिक संबंधों की जटिलता को और बढ़ाएगा।