नमाज पढ़ने पर पाकिस्तान में 23 अहमदिया गिरफ्तार

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों को 'शुक्रवार की नमाज' अदा करने के आरोप में पकड़ा गया है, जो पाकिस्तान में उनके लिए कानूनी तौर पर प्रतिबंधित है। यह घटना उस समय हुई जब पुलिस को सूचना मिली कि अहमदिया समुदाय के 27 लोग सियालकोट के दासका में स्थित एक प्रार्थना स्थल पर जुम्मा (शुक्रवार) की नमाज अदा कर रहे थे, जो लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
पुलिस अधिकारी का बयान
पुलिस अधिकारी मोहम्मद तंजील ने इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अहमदिया समुदाय के धार्मिक नेता अरशद साही शुक्रवार (28 फरवरी) को उपदेश दे रहे थे और इस्लाम से संबंधित आयतें पढ़ रहे थे, जबकि मौके पर मौजूद अहमदी समुदाय के लोग उन्हें ध्यान से सुन रहे थे। इस घटना के बाद स्थानीय मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंची, जिसके चलते पुलिस ने पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 298 C के तहत 27 अहमदी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और उनमें से 23 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
पाकिस्तान पीनल कोड और अहमदी समुदाय पर प्रतिबंध
पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 298 C के तहत उन अहमदिया लोगों को अपराधी माना जाता है जो खुद को मुस्लिम कहते हैं, जबकि पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदिया समुदाय को गैर-मुसलमान घोषित कर दिया था। इसके बाद, एक दशक बाद, उन पर न सिर्फ खुद को मुसलमान कहने का प्रतिबंध लगाया गया, बल्कि इस्लाम के किसी भी धार्मिक रीति-रिवाज को मानने पर भी रोक लगा दी गई।
JAP ने की आलोचना
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) ने इस घटना की कड़ी आलोचना की और कहा कि अहमदिया समुदाय के लोग दासका में एक निजी स्थान पर नियमित प्रार्थना के लिए एकत्र हुए थे। इसके बाद, धार्मिक चरमपंथियों का एक समूह बाहर इकट्ठा हो गया और नारेबाजी शुरू कर दी। JAP ने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने अहमदी समुदाय के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को प्रेरित किया।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदी समुदाय के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर पुलिस के पास पहुंचे अहमदी समुदाय के लोग सुरक्षा की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय पुलिस ने 23 अहमदी लोगों को गिरफ्तार कर सियालकोट के सिटी पुलिस स्टेशन भेज दिया। गिरफ्तार किए गए लोगों में 11 और 14 साल के कई बच्चे भी शामिल थे।
इसके बाद, JAP ने यह भी कहा कि धार्मिक चरमपंथी पुलिस स्टेशन के बाहर इकट्ठा हो गए और नारेबाजी करते हुए उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करने की मांग करने लगे। पुलिस ने उनके दबाव में आकर एक केस दर्ज किया, और फिर 23 गिरफ्तार अहमदी लोगों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्यायिक रिमांड पर सियालकोट सेंट्रल जेल भेजने का आदेश दिया।
यह घटना पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।