क्यों नहीं हो पाया मुख्यमंत्री आवास में 'प्रवेश' !

दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस आखिरकार खत्म हो गया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लग गई है, जो अब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। फैसले के साथ ही बीजेपी के नए विधायक प्रवेश वर्मा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराकर सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे थे।
प्रवेश वर्मा, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जो 27 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक मुख्यमंत्री रहे थे। इस फैसले की वजह से कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर परिवारवाद के मुद्दे पर। माना जा रहा है कि वह दिल्ली में परिवारवाद के आरोपों से बीजेपी बचना चाहती है और यह संदेश देना चाहती है कि किसी भी सामान्य कार्यकर्ता को प्रदेश के शीर्ष पद पर पहुंचाया जा सकता है। बीजेपी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी ऐसा ही उदाहरण पेश किया है, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है।
दिलचस्प बात यह है कि प्रवेश वर्मा जाट बिरादरी से आते हैं, जो हरियाणा और दिल्ली में बीजेपी के समर्थक वर्ग के रूप में पहचानी जाती हैं। हालांकि, रेखा गुप्ता का संबंध बनिया समुदाय से है, जो अरविंद केजरीवाल के समुदाय से मेल खाता है। गुप्ता का संबंध हरियाणा के जींद से है, जो इस राज्य की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पार्टी के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
महिला फैक्टर भी बीजेपी के इस निर्णय का अहम हिस्सा है। बीजेपी महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने का संदेश देना चाहती है। जबकि एनडीए के पास 20 से अधिक राज्यों में सरकारें हैं, मगर किसी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं हैं। रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी महिला सम्मान का प्रतीक बनाना चाहती है। याद दिला दें कि दिल्ली में आखिरी बार बीजेपी की सरकार 1993 से 1998 तक थी, जब सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री थीं।
बीजेपी का यह कदम न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पार्टी की नीतियों और दिशा को भी स्पष्ट करता है। अब देखना यह है कि रेखा गुप्ता की नेतृत्व क्षमता किस प्रकार दिल्ली में बीजेपी के लिए नई राह खोलेगी।