ऊंटों की कुर्बानी रोकने के लिए जनहित याचिका ; 20 फरवरी को सुनवाई

ईद के दौरान दी जाने वाली ऊंटों की कुर्बानी अवैध है और इसे रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक उपाय करने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में दायर की गई है। अगले महीने होने वाली ईद के पहले, राजस्थान से गुजरात-महाराष्ट्र मार्ग से केरल और तेलंगाना में ऊंटों की तस्करी शुरू हो चुकी है। इसके लिए धुले में भी ऊंट लाकर उनकी कुर्बानी दी जाती है। इसे रोकने के लिए इस याचिका पर तात्कालिक सुनवाई की मांग एडवोकेट गौराज शाह ने अदालत से की है। इस पर 20 फरवरी को सुनवाई करने का निर्णय मुख्य न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने लिया है।
पूरा मामला क्या है?
ईद के दौरान अन्य जानवरों के साथ ऊंटों की भी कुछ स्थानों पर कुर्बानी दी जाती है। इसके लिए राजस्थान से नाशिक, धुले और मालेगाव तक ऊंट लाए जाते हैं, और फिर इन्हें महाराष्ट्र से होते हुए दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में ले जाया जाता है। प्राणी संरक्षण कानून के तहत यह अपराध है, और ऊंटों की तस्करी और कुर्बानी को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उचित उपायों के आदेश देने की मांग प्रणिन फाउंडेशन ने जनहित याचिका में की है।
याचिका में प्रमुख मांगें:
- ऊंटों की कुर्बानी अवैध है, और इसे मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर प्रमुखता से प्रकाशित किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक टोल नाके पर सीसीटीवी की निगरानी हो, ताकि महाराष्ट्र में जानवरों की अवैध तस्करी न हो सके।
- टोल नाकों के सीसीटीवी पर जिला स्तर की कमेटी की निगरानी हो, जिससे अवैध तस्करी पर रोक लगे।
- राज्य में प्राणी परिवहन नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।