अमेरिका के टैक्स बढ़ाने से दुनिया में 'टैरिफ वार' की आशंका

अमेरिका के टैक्स बढ़ाने से  दुनिया में 'टैरिफ वार' की आशंका
डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग


अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा कनाडा, चीन, मेक्सिको और अन्य देशों पर नए शुल्क लगाने की घोषणा के बाद, वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मच गई है। राष्ट्रपति ने इन देशों से आयात होने वाले विभिन्न उत्पादों पर 25% तक शुल्क बढ़ाने का आदेश दिया है। इस कदम ने वैश्विक व्यापार में तनाव पैदा कर दिया है, और प्रभावित देशों ने इसे चुनौती देने के लिए एक साथ प्रतिक्रिया दी है, जिसमें चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के खिलाफ मुकदमा दायर करने की घोषणा की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा
राष्ट्रपति ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमारे देश के श्रमिकों और उद्योगों की रक्षा के लिए हमें यह कदम उठाना पड़ा। हम अनुचित व्यापारियों से संघर्ष कर रहे हैं, जो हमारे उत्पादकों को दबा रहे हैं।" राष्ट्रपति द्वारा घोषित 25% तक का शुल्क कनाडा, चीन, मेक्सिको और अन्य देशों से आने वाले स्टील, एल्यूमीनियम, ऑटोमोबाइल और अन्य महत्वपूर्ण उत्पादों पर लागू होगा।

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह शुल्क घरेलू उद्योगों को सस्ती विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया गया है। "यह कदम हमारे व्यापार को संतुलित करने के लिए है, जो कई वर्षों से असंतुलित हो गया है," राष्ट्रपति ने कहा।

प्रतिक्रिया में व्यापार युद्ध
अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा के बाद, प्रभावित देशों ने अपने-अपने स्तर पर प्रतिवाद शुरू कर दिया। चीन, जो पहले से ही अमेरिकी शुल्कों के कारण संकट में था, ने इस कदम को वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में मुकदमा दायर करने की घोषणा की। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, "हम अमेरिका के खिलाफ अपना मामला WTO में पेश करेंगे, क्योंकि यह कदम व्यापारिक धोखाधड़ी और एकतरफा नीति के अंतर्गत आता है।" चीन ने यह भी कहा कि यदि अमेरिका ने अपने कदम वापस नहीं लिए, तो चीन इन उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क बढ़ाने के लिए तैयार है।

इसके अलावा, मेक्सिको और कनाडा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका के खिलाफ प्रतिवादात्मक शुल्क लगाने की योजना बनाई। कनाडा ने कहा, "हमारे देश की अर्थव्यवस्था और उद्योगों को कोई भी अनुचित व्यापार नीति प्रभावित नहीं कर सकती। हम अपनी उद्योगों की रक्षा करेंगे, चाहे हमें किसी भी प्रकार के शुल्क लगाने पड़े।" मेक्सिको ने भी इसी प्रकार का बयान जारी किया और अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाने का इरादा जताया।

प्रतिक्रिया में शुल्क वृद्धि

  • चीन: चीन ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के जवाब में 30% तक अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। इसके तहत, अमेरिका से आयात होने वाले कृषि उत्पाद, तकनीकी उपकरण और ऑटोमोबाइल शामिल होंगे।
  • कनाडा: कनाडा ने अमेरिका से आयात होने वाले स्टील, ऑटोमोबाइल और अन्य उपभोक्ता वस्त्रों पर 25% तक शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है।
  • मेक्सिको: मेक्सिको ने 20% तक शुल्क बढ़ाने का इरादा जताया है, विशेष रूप से अमेरिका से आयात होने वाली कृषि और निर्माण सामग्री पर।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
इन देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव का असर वैश्विक बाजारों में देखने को मिला। शेयर बाजारों में गिरावट आई और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता का माहौल बन गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापार युद्ध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित कर सकता है और विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए आर्थिक चुनौतियां पैदा कर सकता है।

वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने दोनों पक्षों से संयम बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि ऐसे विवादों का समाधान बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए, ताकि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।

भारत का दृष्टिकोण
भारत, जो पहले से ही अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध का प्रभाव महसूस कर रहा था, अब इन नए शुल्कों के परिणामस्वरूप अपने व्यापारिक संबंधों को फिर से देखने की स्थिति में है। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी रणनीति को फिर से तैयार करने की आवश्यकता हो सकती है, खासकर चीन और मेक्सिको के साथ व्यापार बढ़ाने के मामले में।


अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए इस कदम ने वैश्विक व्यापार जगत में एक नई व्यापार युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी है। जहां एक ओर अमेरिका अपने उद्योगों की रक्षा करने के लिए यह कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रभावित देशों ने अपनी प्रतिक्रिया में व्यापारिक युद्ध के विस्तार की संभावना को उजागर किया है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस युद्ध का समापन किस तरह होता है और क्या यह वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा।