बिहार में दोनों गठबंधनों में सीटों को लेकर दावे प्रतिदावे तेज

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जैसे-जैसे जोर पकड़ रही हैं, राजनीतिक गलियारों में हलचल भी बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गठबंधन में शामिल पार्टियों को कितनी सीटें मिलेंगी। यानी, सीटों का बंटवारा ही इस चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया है। एनडीए में फिलहाल सीटों को लेकर खुलकर बयानबाजी नहीं हो रही है, लेकिन महागठबंधन में कांग्रेस 70 से अधिक सीटों की मांग कर रही है, जबकि मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने 60 सीटों की गुगली फेंक दी है। यानी, वीआईपी चाहती है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में उसे कम से कम 60 सीटें दी जाएं।
हाल ही में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, "हम 60 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, तभी 40 से 50 सीटों पर जीत सकते हैं। हर हाल में 40 सीटों पर जीतना हमारा लक्ष्य है।" मुकेश सहनी के इस दावे ने महागठबंधन में सियासी हलचल तेज कर दी है। अगर उनकी बात महागठबंधन में मान ली गई, तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है और उसे सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है।
एक तरफ निषादों के हक की बात, दूसरी तरफ दबाव
मुकेश सहनी निषाद समाज के हक के लिए लड़ रहे हैं और यह बात वे कई बार दोहरा चुके हैं। उन्होंने साफ कहा है कि निषाद समाज को आरक्षण की मांग तभी पूरी हो सकती है, जब उनकी पार्टी के कम से कम 40 विधायक हों। इसके बाद ही वे अपनी मांग सरकार से मनवा सकते हैं। ऐसे में, निषादों के हक की बात करते हुए मुकेश सहनी ने 60 सीटों की मांग कर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है।
मुकेश सहनी ने दावा किया है कि वे महागठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, उनके इस बयान पर आरजेडी ने कोई प्रतिक्रिया देने से अभी तक परहेज किया है। आरजेडी विधायक रणविजय साहू ने कहा, "अभी चुनाव की तैयारी सब कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े, इसलिए इस तरह की बातें कही जाती हैं। महागठबंधन में सीटों को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी। समय आने पर हम मिल-बैठकर सब तय कर लेंगे।" भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने भी कहा, "अभी यह चर्चा का विषय नहीं है। हमारा फोकस एनडीए को रोकने पर है। सीटों के बंटवारे में कोई परेशानी नहीं होगी।"
2020 में मुकेश सहनी को आरजेडी से लगा था झटका
2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने मुकेश सहनी को बड़ा झटका दिया था। उस समय महागठबंधन की ओर से सीटों की घोषणा हो रही थी, और मुकेश सहनी मंच पर मौजूद थे। लेकिन, जब उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई, तो वे गुस्से में होटल से बाहर निकल गए। बाद में वे एनडीए में शामिल हुए, और बीजेपी ने उन्हें 11 सीटें दीं, जिनमें से वीआईपी ने चार सीटों पर जीत हासिल की।
कांग्रेस को करना पड़ सकता है समझौता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार कांग्रेस को दबाव में लाने की कोशिश की जा रही है। 2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल कर सकी। उस वक्त गठबंधन में यह चर्चा होने लगी थी कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें दे दी गई थीं। इस बार जब मुकेश सहनी भी महागठबंधन में हैं और उन्होंने 60 सीटों की मांग कर दी है, तो कांग्रेस को समझौता करना पड़ सकता है। आरजेडी का बिहार में मजबूत जनाधार है, और पिछली बार वह 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। ऐसे में, उसके लिए कम सीटों पर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता।