प्रधानमंत्री ने महाकुंभ में डुबकी लगाई, लेकिन गणपति विसर्जन की नहीं दी अनुमति

शिवसेना उद्धव बाळासाहेब ठाकरे पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमला किया है। माघी गणेशोत्सव में राज्य सरकार ने नोटिस जारी की। इसी पर उद्धव ठाकरे ने मोदी पर हमला किया। उद्धव ठाकरे ने कहा, एक ओर महाकुंभ चल रहा है, जिसमें सभी लोग डुबकी लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डुबकी लगाई, लेकिन पीओपी गणेश मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा, ऐसी नोटिस सरकार ने जारी की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने डुबकी लगाई, लेकिन…
कुंभ मेला चल रहा है। महाकुंभ में जाकर कई लोग डुबकी लगा रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने भी डुबकी लगाई। लेकिन एक ओर गणपति मंडलों के अध्यक्षों को पत्र आया है। माघी गणेशोत्सव में जिन्होंने पीओपी की मूर्तियां स्थापित की थीं, उन्हें विसर्जन नहीं करने की नोटिस भेजी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुंभ मेला में डुबकी लगाते हैं और गणपति का विसर्जन नहीं होने देना चाहते? यह कौन सा हिंदुत्व है? यदि पीओपी मूर्तियों से प्रदूषण हो रहा है तो शाडू की मूर्तियां बनानी चाहिए, यह मैं समझ सकता हूं, लेकिन शाडू की मिट्टी कौन देगा? मूर्तियां तैयार हो गई हों, तो फिर विकल्प क्या है? विसर्जन से एक दिन पहले नोटिस भेजने का क्या मतलब है? तो आपका हिंदुत्व क्या है? तालाबों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया गया है। कुछ जगहों पर विसर्जन की गई मूर्तियां बाहर निकाल ली गईं। कुछ जगहों पर सरकार ने नपुंसकता का प्रदर्शन किया है। मैं आज यह कहता हूं कि देखिए कहां-कहां मूर्तियां बाहर निकालकर रखी गई हैं। इसके बाद आगे क्या करना है, यह तय करेंगे।
रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण
हमारे यहां कहा जाता है कि जैसा बोलते हैं, वैसा चलते हैं, उसकी वंदना करनी चाहिए। यहां बस बोलते हैं, लेकिन कोई काम नहीं होता। रामकृष्ण परमहंस से एक साधक ने पूछा था, कुछ लोग बहुत अच्छे बोलते हैं, एक ऊंचाई तक ले जाते हैं, लेकिन उनका व्यवहार बिल्कुल उल्टा होता है। तब परमहंस ने कहा, देखो, नीरभ्र आकाश में गिद्ध या घारियां ऊंची उड़ती हैं, लेकिन इतनी ऊंचाई पर जाकर उनका ध्यान जमीन पर पड़े सड़े-गले मांस पर होता है, वैसे कुछ लोग होते हैं। उद्धव ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने यह बात किसी को विशेष रूप से लक्षित करके नहीं कही है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में सुधार होना चाहिए था, मुंबई महानगरपालिका के स्कूलों में सुधार हुआ या नहीं, यह आप जाकर देख सकते हैं। सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। बच्चों के कंधों पर का बोझ कम करना बाळासाहेब का सपना था, जिसे मैंने 2014 में साकार किया। मैंने 8वीं, 9वीं और 10वीं के बच्चों को टैबलेट दिए, जिनमें पाठ्यपुस्तकें, प्रश्नपत्र और ई-लर्निंग कोर्स थे।
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