नीलम गोऱ्हे के मर्सिडीज के आरोपों पर उद्धव ठाकरे ने दिया जवाब

98वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन इस समय दिल्ली में चल रहा है। मराठी साहित्य संमेलन के ‘असे घडलो आम्ही’ कार्यक्रम में शिवसेना शिंदे गुट की नेता डॉ. नीलम गोऱ्हे ने एक बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ठाकरे की शिवसेना में दो मर्सिडीज गाड़ियाँ दी जाएं तो एक पद मिल जाता है, ऐसा सनसनीखेज बयान दिया है। नीलम गोऱ्हे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में फिर से हलचल मच गई है। हालांकि, इस पर जब उद्धव ठाकरे से पूछा गया, तो उन्होंने इन आरोपों का जवाब दिया है।
उद्धव ठाकरे ने क्या कहा? कांग्रेस नेता किरण काळे आज ठाकरे गुट में शामिल हुए। उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में यह प्रवेश समारोह हुआ। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बात करते हुए बीजेपी पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा, "आज गाडगेबाबा का स्मरण करना चाहिए। धर्म को जीना होता है, बताना नहीं। गाडगेबाबा हमेशा यही कहते थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी किसी से द्वेष करने को नहीं कहा था। जिन्होंने धर्म का मजाक उड़ाया है, उनका मुस्लिम प्रेम कैसा है, मैं बता सकता हूँ। मोदी ने बड़े और छोटे भाई के बारे में जो ट्वीट किया, वह आत्मीयता से भरा था। बीजेपी चुनाव तक धर्मांधता फैलाती है, जो देश के लिए ठीक नहीं है। माणिकराव कोकाटे और धनंजय मुंडे का बचाव करना उनका हिंदुत्व है क्या? मुझे मर्सिडीज दिखाओ, कहां हैं वो? ऐसे गएगुजरे लोग हैं, मैं उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता। महिला होने के नाते, मैं उनका सम्मान करता हूं। राजनीति में उन्होंने अच्छा काम किया है। यह ऐसे ही रहना चाहिए, यह कहते हुए उद्धव ठाकरे ने नीलम गोऱ्हे को जवाब दिया। उन्होंने यह भी सवाल किया कि खुद मर्सिडीज में घूमते हैं तो प्यारी बहन को पैसे क्यों नहीं मिलते? यह क्यों नहीं देखतीं? यह एक तीखा सवाल था। संजय राउत ने भी नीलम गोऱ्हे से सवाल किया है।
संजय राउत ने क्या कहा? संजय राउत ने कहा, "अगर नीलम गोऱ्हे को उद्धव ठाकरे ने चार बार विधायक बनाया है, तो क्या उन्होंने उद्धव ठाकरे को आठ मर्सिडीज दी हैं? अगर दी हैं तो उसके पावती आदि लेकर आनी चाहिए।" इस तरह संजय राउत ने नीलम गोऱ्हे पर तंज कसा।
नीलम गोऱ्हे ने क्या कहा था? नीलम गोऱ्हे ने कहा, "किसी भी कार्यकर्ता को कम आंकने का कोई कारण नहीं है। 2012 तक मैंने देखा है कि शिवाजी पार्क में होने वाली सभाओं और बैठकों में एकनाथ शिंदे के कार्यकर्ता भीड़ जुटाते थे। दूसरा पहलू यह है कि अगर नेताओं से संपर्क नहीं है, तो वहां रहकर कोई फायदा नहीं है। ठाकरे की शिवसेना में दो मर्सिडीज गाड़ियाँ मिल जाएं तो एक पद मिल जाता है, यह एक सच्चाई है।"