इलेक्ट्रिक वाहन नीति में बदलाव की तैयारी में भारत सरकार ,Tesla की होगी एंट्री

इलेक्ट्रिक वाहन नीति  में बदलाव  की तैयारी में भारत सरकार ,Tesla की होगी एंट्री
Tesla Cyber Truck

भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति (EV Policy) में बदलाव की दिशा में अहम कदम उठाए जा रहे हैं, जो न केवल भारतीय बाजार को अपितु अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी आकर्षक बना सकते हैं। टेस्ला जैसी ग्लोबल कंपनी के लिए भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहन बेचने का रास्ता अब और भी आसान हो सकता है। नई नीति के तहत, कार निर्माताओं को दूसरे साल में 2,500 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखाना होगा, जो पहले के ड्राफ्ट में चौथे और पांचवे साल के लिए निर्धारित लक्ष्य से कहीं कम है। यह बदलाव इस बात को दर्शाता है कि भारत सरकार का इरादा अपने बाजार को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तेजी से खोलने का है।

नई EV नीति के तहत 4,150 करोड़ रुपये के निवेश पर 15% रियायती आयात शुल्क का प्रावधान रखा गया है। इसके साथ ही, पहले पांच सालों में 10,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू लाने की शर्त है। हालांकि, इस निवेश को केवल जमीन खरीदने या बिल्डिंग बनाने में ही नहीं, बल्कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे जरूरी पहलुओं में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कदम इलेक्ट्रिक वाहनों की  जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारत में आने का मार्ग और भी सरल हो जाएगा।

भारत में टेस्ला की एंट्री की चर्चा तब और तेज हुई जब पीएम नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में एलन मस्क से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद, 18 फरवरी को टेस्ला ने भारत में नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली, जिसमें दिल्ली और मुंबई में सेल्स और सर्विस की नौकरियों का प्रस्ताव था। इसके साथ ही, खबरें  हैं कि टेस्ला 2025 की दूसरी छमाही में दिल्ली और मुंबई में अपने शोरूम खोल सकती है, और पहली कार Model Y लॉन्च की जा सकती है।

हालांकि, टेस्ला का भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने का विचार अभी भी असमंजस में है, क्योंकि कंपनी अपने वाहनों को इम्पोर्ट करके बेचना चाहती है। भारतीय ईवी नीति के अनुसार, कार निर्माताओं को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए बाध्य किया गया है। टेस्ला के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इसे कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करना होगा और तीन साल के भीतर स्थानीय निर्माण शुरू करना होगा।

भारत सरकार ने 1 फरवरी 2025 को जो बजट पेश किया, उसमें 40,000 डॉलर से अधिक कीमत की गाड़ियों पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 70% कर दिया है, जिससे टेस्ला जैसे विदेशी निर्माताओं के लिए भारत का बाजार और भी आकर्षक बन सकता है। हालांकि, अभी भी टैक्स दर कुल 110% के आसपास बनी हुई है, जो टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए एक चुनौती हो सकती है। 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार अपनी EV नीति में क्या बदलाव करती है, और क्या टेस्ला अपने भारत आने के सपने को साकार कर पाएगी।