इमरान के आज़ाद उम्मीदवार बुलंदी पर: लेकिन आएँगे तो नवाज़ शरीफ ही
पाकिस्तान में आठ फ़रवरी को हुए आम चुनावों में तस्वीर अभी तक साफ़ नहीं हुई है। एक तरफ़ तो पाकिस्तानी फ़ौज के विरोध के बावजूद इमरान ख़ान द्वारा समर्थन प्राप्त आज़ाद उम्मीदवार निरंतर सबसे आगे चल रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ख़ुद को विजयी घोषित कर दिया है। सही आंकड़ों को लेकर रहस्य बना हुआ है , कोई तस्वीर साफ़ नहीं आ रही है। दरअसल इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई (तहरीक ए इंसाफ़) के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है और ख़ुद इमरान ख़ान जेल में हैं। ऐसे में उनकी पार्टी के लोग निर्दलीय उम्मीदवार के बतौर चुनाव लड़ रहे हैं। अभी तक जो आंकड़े आए हैं , उसमें निर्दलीय सौ के क़रीब पहुँच रहे हैं जबकि नवाज़ शरीफ और बिलावल भुट्टो की पार्टियाँ 50 से 75 के आँकड़े के आसपास हैं। इससे यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि इमरान को सत्ता से बाहर रखने के लिए शरीफ और बिलावल हाथ मिला सकते हैं। अगर फिर भी ज़रूरत पड़ी तो निर्दलीय विजयी उम्मीदवारों के समर्थन की व्यवस्था करने में पाकिस्तानी फ़ौज सक्षम है। इसलिए नवाज़ शरीफ का चौथी बार प्रधानमंत्री बनना अब लगभग तय हो गया है।
इसका भारत पर क्या असर होगा? आमतौर पर नवाज शरीफ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के 1 साल बाद ही 2015 में शरीफ के घर भी मोदी गए थे। इससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस बार भी नवाज़ शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों में आयी कड़वाहट ख़त्म होगी। पिछली बार शरीफ को फ़ौज का समर्थन नहीं था। पर इस बार फ़ौज ही उन्हें इमरान की जगह प्रधानमंत्री देखना चाहती है। पाकिस्तानी फ़ौज और शरीफ में तालमेल ठीक रहा तो भारत के साथ रिश्ते सामान्य होने की उम्मीद है, बशर्ते आतंकी संगठन इस मंसूबे पर पानी न फेर दें।