इंडिया गेट का नाम बदलने की मांग
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने इंडिया गेट का नाम बदलकर 'भारत माता द्वार' रखने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस संबंध में अपनी राय रखी। पत्र में उन्होंने कहा कि इंडिया गेट का नाम बदलना देश के 10,000 शहीद जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जमाल सिद्दीकी ने अपने पत्र में उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी देश की ऐतिहासिक धरोहरों और स्थानों के नामों में बदलाव किया है। उन्होंने कहा, "आपने क्रूर मुग़ल के नाम पर बनी औरंगजेब रोड का नाम बदलकर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया, इंडिया गेट पर लगी जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई और राजपथ का नाम कर्तव्य पथ रखा। उसी तरह, इंडिया गेट का नाम बदलकर 'भारत माता द्वार' किया जाए।"
इंडिया गेट का इतिहास
इंडिया गेट, जो दिल्ली का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, भारतीय शहीदों की याद में निर्मित किया गया था। यह द्वार 1921 में निर्मित हुआ था और यह ब्रिटिश साम्राज्य के तहत भारत में युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में बनवाया गया था। इंडिया गेट का डिज़ाइन सर एडविन लुटियन्स द्वारा किया गया था और यह 42 मीटर ऊंचा है। यह 'आर्क ऑफ़ विक्ट्री' के रूप में डिजाइन किया गया था और इसके ऊपर भारतीय सैनिकों की शहादत की याद में "भारत के सभी सैनिकों के लिए" समर्पित किया गया था।
यह स्थल भारत की स्वतंत्रता संग्राम और युद्धों में अपनी जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि का प्रतीक बन चुका है। आज भी इंडिया गेट पर 'अमर जवान ज्योति' जलती रहती है, जो शहीदों की शहादत को सम्मानित करती है।