विदेशी दौरों में पत्नियों की मौजूदगी पर लगाम कसना चाहता है बीसीसीआई

विदेशी दौरों में पत्नियों  की मौजूदगी  पर लगाम कसना चाहता है बीसीसीआई
क्रिकेट खिलाडियों की पत्नियाँ

  भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ऑस्ट्रेलिया दौरे पर निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कड़ा कदम उठाने की सोच रहा है। भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हार का सामना करना पड़ा था जिससे खिलाड़ियों को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बीसीसीआई ने इसे लेकर कुछ दिन पहले समीक्षा बैठक की थी और अब खबर सामने आ रही है कि बोर्ड कुछ सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहा है। इस समीक्षा बैठक में कप्तान रोहित शर्मा और चयन समिति के अध्यक्ष अजीत आगरकर सहित टीम प्रबंधन ने भी हिस्सा लिया था।  बीसीसीआई अनुशासनात्मक कदम उठा सकता है जिसमें विदेशी दौरों में क्रिकेटरों की पत्नियों की उपस्थिति को सीमित करना शामिल है। इसके अलावा कोच और खिलाड़ियों के मैनजरों को टीम बस में यात्रा करने से रोकना भी शामिल है।  मैच के दौरान कई क्रिकेटरों की पत्नियां स्टेडियम में मौजूद रहती हैं, लेकिन अब बीसीसीआई इसे लेकर सख्ता रुख अख्तियार करने जा रहा है।   अगर बीसीसीआई यह फैसला करता है तो 45 दिन या उससे अधिक दिनों के दौरे पर खिलाड़ी अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों को केवल दो सप्ताह तक ही साथ रख पाएंगे। अगर दौरा 45 दिन से कम समय का है तो यह अवधि एक सप्ताह की हो सकती है। इसके अलावा खिलाड़ी विदेश दौरे के दौरान किसी अन्य वाहन में यात्रा नहीं कर सकते हैं और उन्हें टीम बस का ही उपयोग करना होगा। अधिकतर खिलाड़ी इस नियम का पालन करते हैं, लेकिन कुछ अवसरों पर खिलाड़ी और सहयोगी स्टाफ के सदस्य अन्य वाहन का उपयोग कर लेते हैं।
 इनमें से किसी को भी तुरंत प्रभाव से लागू नहीं किया गया है। खिलाड़ियों और कोच के मैनेजरों का टीम बस में यात्रा करने का मुद्दा तब सामने आया जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान कोचिंग स्टाफ के एक सीनियर सदस्य के मैनेजर को टीम बस में यात्रा करने की अनुमति दी गई।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि  विदेशी दौरों में पत्नियों की उपस्थिति को लेकर बैठक में चर्चा की गई और इस बारे में जल्द ही फैसला किया जाएगा।