सैफ पर हमले को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले को लेकर कुछ लोग इसे हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस तरह के दृष्टिकोण से न केवल घटना की गंभीरता को कम किया जाता है, बल्कि यह समाज में और भी ज्यादा विभाजन और नफरत फैलाने का कारण बन सकता है। यह एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा है, और इसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए, न कि किसी धार्मिक संघर्ष के रूप में। 

किसी भी घटना के बाद जब उसे सांप्रदायिक रूप से देखा जाता है, तो यह समाज में और ज्यादा तनाव पैदा कर सकता है। हमले के मामले में जो भी व्यक्ति दोषी है, उसे कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए, और इस पर राजनीति करने की बजाय हमें इसके कारणों और समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सैफ अली खान पर हुए हमले के पीछे जो भी कारण रहे हों, यह मामला केवल और केवल कानून व्यवस्था से जुड़ा है, न कि किसी धर्म या समुदाय से। 

देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। हमें यह समझना होगा कि अगर किसी व्यक्ति पर हमला होता है, तो हमें यह नहीं देखना चाहिए कि वह किस धर्म से संबंधित है। समाज की एकजुटता और कानून व्यवस्था को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। 

यह समय है जब हम सभी को इस मुद्दे को राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देने के बजाय, इसे एक मानवाधिकार और कानून व्यवस्था के मामले के रूप में देखना चाहिए। देश में शांति और सामूहिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए हमें एकजुट रहकर काम करना चाहिए।