मुंबई की मीठी नदी साफ़ सफाई घोटाला ; तीन ठेकेदार जांच के लिए तलब

मुंबई की मीठी नदी साफ़ सफाई घोटाला ; तीन ठेकेदार जांच के लिए तलब
Mithi River ; File Photo

राज्य में एक ओर शिवसेना शिंदे गुट और ठाकरे गुट के बीच राजनीतिक महाभारत चल रहा है, वहीं आगामी महापालिका (BMC) चुनावों के लिए दोनों पार्टियों द्वारा रणनीतियाँ बनाई जा रही हैं। ठाकरे के कब्जे में रही मुंबई महापालिका को महायुति के कब्जे में लाने के लिए भाजपा-शिवसेना प्रयासरत हैं। वर्तमान में मुंबई के नगरसेवकों को अपनी तरफ करने के लिए शिंदे की शिवसेना सक्रिय दिखाई दे रही है। कुछ महीने पहले कोविड काल के खिचड़ी घोटाले के कारण शिवसेना ठाकरे गुट के नेता सूरज चव्हाण को जेल जाना पड़ा था। अब मिठी नदी के चौड़ीकरण और गहरीकरण में भ्रष्टाचार की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही है। मिठी नदी के गाद निकालने के लिए दिए गए ठेके में गड़बड़ी का आरोप विधानसभा में भाजपा नेताओं प्रवीण दरेकर और विधायक प्रसाद लाड ने लगाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में SIT गठन कर जांच करने का आश्वासन दिया था। 

राज्य सरकार द्वारा निर्देश मिलने के बाद मुंबई पुलिस आयुक्त और आर्थिक अपराध शाखा के सह पुलिस आयुक्त के मार्गदर्शन में इस मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा की विशेष टीम नियुक्त की गई है। इस प्रकार, आगामी महापालिका चुनावों से पहले ठाकरे गुट की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है। क्योंकि पिछले 25 वर्षों से मुंबई महापालिका पर शिवसेना ठाकरे गुट का कब्जा है और इस बार भाजपा ने मुंबई महापालिका को अपने नियंत्रण में लेने के लिए रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। मिठी नदी के चौड़ीकरण और गहरीकरण और साफ़ सफाई में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच SIT द्वारा की जाएगी, जिसमें ठेका  किसे दिया गया, कितने पैसे कहां खर्च किए गए, 2005 से 2023 तक कितनी गाद निकाली गई, और कितने सौंदर्यीकरण कार्य किए गए, इन सभी पहलुओं की जांच की जाएगी। आर्थिक अपराध शाखा की विशेष टीम ने इस मामले की जांच के लिए तीन ठेकेदारों को समन भी भेजे हैं।

तीन कंपनियों को दिए गए ठेके
मनीष कासलीवाला - कैलास कंस्ट्रक्शन, ऋषभ जैन - एक्यूब डिजाइन और शिरीष राठोड - मनदीप इंटरप्राइजेज, ये वे ठेकेदार हैं जिन्हें जांच के लिए बुलाया गया है। इन तीन ठेकेदारों को लगभग प्रत्येक को 30 से 40 करोड़ का ठेका दिया गया था। मिठी नदी मुख्य रूप से 11.84 किलोमीटर मुंबई महापालिका के अधिकार क्षेत्र में है, जबकि 6.8 किमी क्षेत्र MMRDA के अधिकार क्षेत्र से गुजरता है। दोनों संस्थाओं को ठेके देने की प्रक्रिया अलग होने के कारण, इन दोनों से इस मामले से संबंधित भ्रष्टाचार के कागजात मांगे गए थे। महापालिका से हालांकि अपूर्ण दस्तावेज़ प्रस्तुत किए जाने की जानकारी पुलिस सूत्रों ने दी है। इस बीच, आर्थिक अपराध शाखा ने खिचड़ी घोटाला, डेडबॉडी बैग घोटाला और ऑक्सीजन प्लांट मामले में पहले ही अपराध दर्ज किए हैं।