'मी टू' मामले में तनुश्री दत्ता की याचिका ख़ारिज, नाना पाटेकर को राहत

मुंबई की एक अदालत ने दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ उनकी को-एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता द्वारा 2018 में लगाए गए "मीटू" आरोपों का संज्ञान लेने से इंकार कर दिया। अदालत ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया और पाया कि जिस आधार पर शिकायत की गई थी और पुलिस ने जो रिपोर्ट अदालत में पेश की थी, उसके अनुसार किसी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इसलिए, अदालत ने इस शिकायत को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि ओशिवारा पुलिस स्टेशन, जहां यह शिकायत दर्ज की गई थी, से पुलिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर उसने मामले की प्रकृति पर विचार नहीं किया। अदालत ने केवल पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया पर विचार किया। अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया कि तनुश्री दत्ता की शिकायत झूठी थी या सच्ची, लेकिन पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के आधार पर इसे खारिज कर दिया गया।
अक्टूबर 2018 में दायर अपनी शिकायत में, तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर और तीन अन्य पर 2008 में फिल्म "हॉर्न ओके प्लीज" के सेट पर एक गाने की शूटिंग के दौरान उत्पीड़न और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था। यह मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में आया और सोशल मीडिया पर मीटू आंदोलन को और भी बल मिला। पुलिस ने 2019 में मजिस्ट्रेट अदालत के सामने अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि जांच में किसी भी आरोपी के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया।
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि एफआईआर झूठी पाई गई। कानूनी शब्दों में इसे 'बी-समरी' रिपोर्ट कहा जाता है। उस समय, तनुश्री दत्ता ने विरोध याचिका दायर कर अदालत से बी-समरी को खारिज करने का आग्रह किया था और आगे की जांच का आदेश देने की मांग की थी। लेकिन अब, इस मामले में नाना पाटेकर को अदालत से राहत मिली है।