महाकुंभ में 144 साल बाद बन रहा समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग

महाकुंभ में 144 साल बाद बन रहा समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग
महाकुंभ का विहंगम दृश्य

महाकुंभ 2025 में एक दुर्लभ और विशेष संयोग बन रहा है, जो 144 सालों बाद आ रहा है। इस बार का महाकुंभ समुद्र मंथन के योग से जुड़ा हुआ है, और यह संयोग ग्रहों की स्थिति के कारण बेहद विशिष्ट बन रहा है। चंद्र और बृहस्पति के प्रिय ग्रह बुध मकर राशि में स्थित हैं, जो बुधादित्य योग बना रहे हैं। इसके अलावा, कुंभ योग और राशि परिवर्तन का योग इस महाकुंभ को और भी खास बना रहा है। 

शनि की कुंभ राशि, शुक्र और बृहस्पति के राशि परिवर्तन के कारण यह संयोग 144 साल बाद बन रहा है। इस वर्ष महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के तट पर श्रद्धालु विशेष ग्रहों की स्थिति के कारण और भी ज्यादा आस्था और श्रद्धा के साथ डुबकी लगाएंगे। 

सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह मकर और कुंभ राशियों में गोचर कर रहे हैं, जो देवासुर संग्राम के समय की ग्रह स्थिति से मेल खाती है। इस समय असुर गुरु शुक्र उच्च राशि में हैं और बृहस्पति की राशि में हैं। श्रवण नक्षत्र, सिद्धि योग और उच्च शुक्र के कारण यह महाकुंभ और भी पवित्र और फलदायी होगा।

जब बृहस्पति अपने 12 राशियों के चक्र को पूरा करते हैं और फिर से वृषभ राशि में आते हैं , तो महाकुंभ का आयोजन होता है। यह चक्र बृहस्पति के गोचर के 12 चक्रों के बाद पूरा होता है, और इसे पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है। इस बार ग्रहों की स्थिति देवगुरु बृहस्पति और असुर गुरु शुक्र के अनुसार समुद्र मंथन के नायकों की तरह कार्य कर रही है, जिससे यह महाकुंभ अत्यधिक विशेष बन गया है।