ट्रम्प के आदेश से लाखों भारतीयों का भविष्य अधर में

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही एक महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें जन्म से नागरिकता को समाप्त करने की बात की गई है। इस आदेश का असर उन लाखों भारतीयों पर पड़ेगा जो अमेरिकी ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची में हैं, और इसके तहत उनके नए जन्मे बच्चों को अमेरिकी नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा।
ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिकी कानून में एक बड़े बदलाव का संकेत है। इसके तहत, अब अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता देने का अधिकार समाप्त हो सकता है, जब तक उनके माता-पिता के पास स्थायी नागरिकता या वैध निवास का अधिकार न हो। यह निर्णय विशेष रूप से उन भारतीयों के लिए चिंताजनक है जो ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची में हैं और इस प्रक्रिया में अपने बच्चों के भविष्य के बारे में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
नए जन्मे बच्चों को नागरिकता से वंचित होना
अमेरिका में पहले यह प्रावधान था कि अगर कोई बच्चा अमेरिकी धरती पर पैदा होता है, तो उसे जन्म से नागरिकता मिल जाती थी, चाहे उसके माता-पिता का वीजा या नागरिकता की स्थिति कुछ भी हो। लेकिन अब ट्रंप के इस नए कार्यकारी आदेश के बाद, यदि किसी भारतीय नागरिक के पास स्थायी निवास का अधिकार (ग्रीन कार्ड) नहीं है, तो उनके बच्चे को जन्म से अमेरिकी नागरिकता का अधिकार नहीं होगा। इससे ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची में फंसे लाखों भारतीयों को भारी झटका लग सकता है।
भारत में रहने वाले भारतीय परिवारों के लिए चिंता का विषय
इस कार्यकारी आदेश का सबसे ज्यादा असर उन भारतीय परिवारों पर पड़ेगा जो अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) के लिए आवेदन कर चुके हैं और अभी लंबी प्रतीक्षा सूची में हैं। ऐसे परिवारों के नए जन्मे बच्चे अब अमेरिकी नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकेंगे, जो पहले उन्हें जन्म से मिलती थी। इसके अलावा, इन परिवारों को अपने बच्चों को भविष्य में नागरिकता दिलाने के लिए कई सालों तक लंबा इंतजार करना पड़ेगा, जो अब तक उनके लिए सरल था।
अमेरिका में ग्रीन कार्ड के लिए लंबा इंतजार
भारत जैसे देशों के नागरिकों के लिए ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल रही है। भारत में कई परिवारों को अपने ग्रीन कार्ड के लिए 10 से 20 साल तक इंतजार करना पड़ता है, और अब यह नया आदेश उन परिवारों के लिए और भी जटिलता पैदा कर सकता है। इस निर्णय से ऐसे परिवारों को यह चिंता हो सकती है कि उनके बच्चों के भविष्य को प्रभावित करने वाला यह आदेश उन्हें अतिरिक्त परेशानियों का सामना करवा सकता है।
नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन
इस नए कार्यकारी आदेश के खिलाफ कई अमेरिकी नागरिक अधिकार संगठनों ने आवाज उठाई है। उनका कहना है कि यह निर्णय अमेरिकी मूल्यों और संविधान के खिलाफ है, जो हर बच्चे को समान अधिकार देने की बात करता है। कई संगठनों का यह भी कहना है कि यह कदम विशेष रूप से अप्रवासी समुदायों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और अमेरिका में रहने वाले लाखों लोगों के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है। अब देखना होगा कि अमेरिकी संसद और न्यायपालिका इस आदेश के खिलाफ क्या कदम उठाती है और क्या यह आदेश पूरी तरह से लागू हो पाता है।
अमेरिका में ग्रीन कार्ड के लिए लंबित आवेदनों की संख्या में भारतीय नागरिकों की हिस्सेदारी अत्यधिक है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) के आंकड़ों के अनुसार, ग्रीन कार्ड के लिए 12 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों ने आवेदन किया था, जो कुल आवेदनों का लगभग 68% है।
विशाल संख्या के कारण, ग्रीन कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया में भारतीय नागरिकों को अत्यधिक लंबा इंतजार करना पड़ता है। अमेरिकी कानून के अनुसार, रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड की वार्षिक सीमा 1,40,000 निर्धारित है, और प्रति देश 7% की सीमा लागू है। इसलिए, भारत जैसे बड़े आबादी वाले देशों के लिए यह सीमा विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है।