एकनाथ शिंदे की शिवसेना का 'ऑपरेशन टाइगर'; निशाने पर उद्धव के करीबी

राज्य में महायुति सरकार की स्थापना के बाद अब स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावी रणनीति पर काम शुरू हो गया है। इस दिशा में राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। एक ओर मुंबई में शिवसेना ठाकरे गुट ने स्वबळ का नारा दिया है, तो दूसरी ओर शिवसेना शिंदे गुट भी सक्रिय हो गया है और ठाकरे गुट को चुनौती देने के लिए कदम बढ़ा रहा है।
शिवसेना नेता और मंत्री उदय सामंत ने कुछ दिनों पहले ऑपरेशन टाइगर के संदर्भ में बयान दिया था कि कुछ पूर्व विधायक और सांसद उनके संपर्क में हैं और जल्द ही वे शिवसेना में शामिल होंगे। इसके बाद यह चर्चा शुरू हुई कि पर्दे के पीछे शिवसेने का ऑपरेशन टाइगर शुरू हो चुका है और कई पूर्व विधायक जल्द ही शिवसेना में शामिल होंगे, साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक और पुणे के रविंद्र धंगेकर भी शिवसेना में शामिल होने वाले हैं।
शिवसेना नेता उदय सामंत के नेतृत्व में 5 पूर्व विधायक शिंदे की शिवसेना में शामिल होंगे और वे सामंत के संपर्क में हैं, यह वरिष्ठ सूत्रों से जानकारी मिली है। इनमें 2 कांग्रेस नेता और 4 पूर्व विधायक शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस के रविंद्र धंगेकर का भी शिंदे की शिवसेना में प्रवेश होने की संभावना है। वहीं, कुछ दिन पहले ठाकरे की शिवसेना की बैठक में नाराज होकर उठकर चले जाने वाले चंद्रकांत मोकाटे भी ठाकरे का साथ छोड़ने वाले हैं।
विशेष बात यह है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक रविंद्र धंगेकर और हुसैन दलवाई ने आज ही उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। कांग्रेस के दो नेताओं की शिंदे से मुलाकात ने राजनैतिक हलकों में हलचल मचा दी है और कई लोगों की भौहें चढ़ी हैं। हालांकि, हुसैन दलवाई ने पार्टी प्रवेश की खबरों को नकारा किया, लेकिन रविंद्र धंगेकर की मुलाकात के बाद उनके शिवसेना में प्रवेश की चर्चा बनी हुई है।
ये नेता शिंदे की शिवसेना से जुड़ने के लिए संपर्क में हैं:
- रविंद्र धंगेकर, कांग्रेस के पूर्व विधायक
- महादेव बाबर, ठाकरे गुट के पूर्व विधायक हडपसर
- चंद्रकांत मोकाटे, कोथरूड के पूर्व विधायक ठाकरे गुट
- गणपत कदम, रत्नागिरी के पूर्व विधायक ठाकरे गुट
- सुभाष बने, संगमेश्वर के पूर्व विधायक ठाकरे गुट
- रमाकांत म्हात्रे, कांग्रेस नेता और नवी मुंबई के पूर्व महापौर
शिवसेना शिंदे गुट अब आगामी महापालिका चुनावों के मद्देनजर अपनी पार्टी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, और यह कदम पार्टी को सुदृढ़ करने के लिए उठाए जा रहे हैं। शिंदे गुट के बढ़ते प्रभाव के कारण आगामी चुनावों में बड़ा उलटफेर हो सकता है, जिससे महायुति की राजनीतिक रणनीति में भी बदलाव हो सकता है।